काही गाणी मनात रुजतात. खोलवर. कुठंतरी आत भिडतात. त्यातले प्रत्येक शब्द, प्रत्येक आलाप प्रत्येकवेळी नवा अर्थ देऊन जातो. अत्यंत टिपिकल हिंदी चित्रपट 'दबंग'मध्ये असं गाणं मिळालं आणि जाम आनंदलो. अशी गाणी म्हणजे खूप देखण्या कविता असतात. कोरीव. त्यामुळंच कित्येकदा एेकल्या तरी पुनःपुन्हा एेकावाश्या वाटतातच...'दबंग'च्या कोळशाच्या खाणीतलं हे रत्न आहे, 'तेरे मस्त मस्त दो नैन'..
गीत लिहिलंय फैज अन्वर यांनी
संगीत आहे साजीद वाजीद यांचं
आणि गायक आहे राहत फतेह अली
ही देखणी कविता अख्खी लिहून काढावीशी वाटली !
ताकतें रहते तुझकों सांझ सबेरे
नैनो में हायें...
नैनो में...
हायें...
ताकतें रहते तुझकों सांझ सबेरे
नयनों में बसिया नैन ये तेरें
नयनोंमें बसिया नैन ये तेरें
तेरे मस्त मस्त दो नैन
मेरे दिलका ले गये चैन
मरे दिलका ले गये चैन
तेरे मस्त मस्त दो नैन
पहले पहल तुझें
देखा तो दिल मेरा
धडका हाये धडका
धडका हायें
पहले पहल तुझें
देखा तो दिल मेरा
धडका हाये धडका
धडका हायें
जलजल उठां हूँ मै
शोला जो प्यार का
भडका हायें भडका
भडका हायें
नींदोंमें घुल गये है
सपनें जो तेरे
बदले से लग रहे है
अंदाज मेरें
बदले से लग रहे है
अंदाज मेरें
तेरे मस्त मस्त दो नैन
मेरे दिलका ले गये चैन
मरे दिलका ले गये चैन
तेरे मस्त मस्त दो नैन
माहिं बेआबसा
दिल ये बेताबसा
तडपा जायें
तडपा जायें
नैनों की झिल में
उतरा ता युहीं दिल
डुबा जाये डुबा
डुबा जाये
होशों हवास अब तो
खोने लगे है
हम भी दिवाने तेरे
होने लगे है
हम भी दिवाने तेरे
होने लगे है
तेरे मस्त मस्त दो नैन
मेरे दिलका ले गये चैन
मरे दिलका ले गये चैन
तेरे मस्त मस्त दो नैन
ताकतें रहते तुझकों सांझ सबेरे
नयनों में बसिया नैन ये तेरें
नयनोंमें बसिया नैन ये तेरें
तेरे मस्त मस्त दो नैन
मेरे दिलका ले गये चैन
मरे दिलका ले गये चैन
तेरे मस्त मस्त दो नैन
Wednesday, October 13, 2010
Thursday, October 7, 2010
जिंदगी की किताब...
इक किताब होती जिंदगी...
हर इक पन्ना मै बंद कर देता
जब चाहूँ...
खोल देता वही पन्ना
जिसें चाहूँ...
एहसास बन गया है अब
पन्नोंका...
जाना था जिनकों चलें गयें..
हाथ में थमाकर
किताब जिंदगीकी की हम
ना खोल सकें ना बंद...
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