Thursday, October 7, 2010

जिंदगी की किताब...

इक किताब होती जिंदगी...
हर इक पन्ना मै बंद कर देता
जब चाहूँ...
खोल देता वही पन्ना 
जिसें चाहूँ...

एहसास बन गया है अब
पन्नोंका...

जाना था जिनकों चलें गयें..
हाथ में थमाकर 
किताब जिंदगीकी की हम
ना खोल सकें ना बंद...

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